अब बताओ ये क्या कनेक्शन है और मैं हिंदी में क्यूँ लिख रहा हूँ. नहीं ये बिंगो चिप्स की नई एड भी नहीं है. वो हुआ ऐसे की मैं हिंदी में न्यू इयर ग्रीटिंग टाइप करने का ट्राई कर रहा था और गूगल लिप्यंतरण (Transliteration) टूल एकदम मस्त लगा. और भाई लोगो गूगल लिप्यंतरण(Transliteration) और गूगल अनुवादक (Translator) दो अलग चीज़े है मुझे आज ही पता चला. आप लोगो की जानकारी के लिए भी बता दूं – गूगल ट्रांसलेटर (Translator) का काम है अनुवाद करना मतलब की आप जो भी लिखेंगे उसे किसी और भाषा में उसी मतलब ले साथ लिखना. इसके द्वारा आप ५१ (51) विभिन्न भाषाओ में translation कर सकते है. जैसे की happy new year का हिंदी भाषा में ट्रांसलेशन होगा ‘नया साल मुबारक हो’ लेकिन गूगल ट्रांसलिटरेशन (TRANSLITERATION) happy new year को लिखेगा हैप्पी न्यू इयर.
समझ आया या नहीं . आया तो ठीक नहीं तो भाई मतलब की बात सुनो ३ बेवकूफों (3 Idiots) और इस बीते साल का कनेक्शन.
वैसे तो मैं सिनेमा बहुत कम देखता हूँ (वैसे ज्यादा दखने लायक फिल्मे बनती कहाँ है) लेकिन भाई मानना पड़ेगा आमिर खान को मस्त काम करता है , जान लगा देता है . वर्ना मजाल है कोई और हमसे इस मंदी के दौर में १००० रुपये खर्च करवा दे वो भी फिल्म देखने के लिए. 3 Idiots चेतन भगत के नोवेल five point someone पर आधारित है तो भैया हम पहुंचे अम्बिएंस माल , गुडगाँव जानते तो होंगे आप एक किलोमीटर लम्बा एक फ़लोर और ऐसे चार फ़लोर. अब बताओ इतनी जगह में तो लो फ़लोर बसें चलनी चाहिए (अबे नहीं रिक्शे ज्यादा सेफ है, बसों में तो आग लग रही है और कीमतों में भी ). दिन का पहला शो देखने का फायदा है की सीटे साफ़ मिलती है और मूवी से पहले के सारे एड देखने का मौका 🙂
फिर भटक गया … वापस चलो ३ idiots पर
मूवी शुरू से आखिर तक उतार चड़ाव से भरी हुई , अचानक से नए नए मोड़ और भावनाए. शुरू होते ही सस्पेंस , कौन है यह ranchoddas shyamaldas chanchad उर्फ़ rancho जिसकी तलाश में दोस्त लोग निकल पड़े है. फिर शुरू होती है दोस्तों की कॉलेज की जिन्दगी की कहानी , जिसमे है एक दूसरे से आगे निकलने की होड़, बिना सोचे समझे रटने और पास होने की दौड़. साथ में में है उम्मीदों पर खरे न उतरने और हार जाने का डर. इन सब के बीच तीन दोस्त इन सब डरो से लड़ते हुए अपने ही अंदाज़ में जीते जा रहे है. Rancho अपने दोस्तों को जीने का एक अलग ही ढंग सीखा कर एक दिन गायब हो जाता है. उसके दोस्त आपनी आपनी जिंदगियों में सफल हो जाते है मगर अपने दोस्त को नहीं भूल पाते है.
साल २००९ भी कुछ इस तरह ही शुरू हुआ लेहमन बैंक की मेहेरबानी से जो मंदी का दौर शुरू हुआ था उसका असर पूरे जोर पर था. नौकरियों का कुछ पता नहीं था, बड़ी छोटी सभी कंपनियों में धड़ले से छटनी हो रही थी. तन्खाओं में कटौती आम सी बात हो गई थी. साल के पहले छे महीने तनाव व अनिश्चितता से भरे हुए थे.
मगर शाहरुख़ भैया ने कहाँ था अगर सब कुछ ठीक न हो तोह समझो की पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त.
तो इंटरवल के बाद मतलब के बाद के ६ महीनो में इकोनोमी में सुधार आने लग गया और २०१० आते आते लगता है वो सब एक बुरा सपना था. अच्छा है की वो वक़्त बीत गया. मगर जाते जाते बहुत कुछ सीखा गया.
२००९ को मेरी ओर से धन्यवाद :
तुमने दिखा दिया की जो चमत्कार करने की क्षमता तुममे थी वो संसार में किस्सी में नहीं है. जो चमत्कार पर चमत्कार तुमने किये , वैसा दुनिया कोई नहीं कर सकता. उम्मीद है आप आगे ऐसा कुछ नहीं करेंगे.
मेरे लिए तो 2009 मेरा दोस्त Rancho या funsukh Wangroo ही रहेगा. जिसने हर वक़्त में fun और sukh से रहना सिखा दिया.
जहाँपनाह तुस्सी ग्रेट हो , तोहफू कबूल करो.
Leave a Reply